बहुत दिन हुए, की तुम गुमसुम हुए
कहने को कुछ नहीं, की ख़बर ही नहीं
सुन सकूं अनकहा ऐसी मैं भी कहाँ,
जान मैं न सकी, जाने सारा जहाँ.
कल कहा कल कहूं, जाने कैसे सहूँ.
दूर तुम जो गए, दूर है कह कहा.
दूर है हर हँसी, दूर ही हर खुशी.
दुःख नहीं पर कहीं, दूरी का एहसास ये,
है दबा, और मन ये है बुझा ही बुझा.
Thursday, January 3, 2008
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