आल्हादित ये संसार,
बस एक छण,
जिसे जाए न रोका,
जो हो अनकोसा,
जिस छण की त्वरा मे मग्न,
हो हर छण,
जिसकी राह तके हर प्राण मन.
जीवन के हर उस छण,
आल्हादित ये संसार,
हर उस छण, जिसमे प्रिय का संग.
Thursday, January 3, 2008
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