Thursday, January 3, 2008

rat ka parijat

पारिजात फूला तो रात हुई
रजनीगंधा की गंध से सुवासित
धुली चाँदनी से आलोकित
ओस की बूंदों से नहाई
सुंदर शांत रात हुई
जागे सरे निशाचर , जग सोया तो रात हुई
कलियाँ chthaki, पवन बही तो रात हुई
ऐसी ही रातों मे जागूं और देखूं सब ही
मन ने जब जब ऐसा चाह रात हुई
रात्रि का सौन्दर्य निर्मल
दिवस से अधिक अनुपम
डूबी इस सौन्दर्य मे
आनंदाम्रित बरसा सचमुच रात हुई

2 comments:

NYSH Nishant said...

Khoobi Hai aapke har lafz mein... piroya hai kuchh khas andaaz mein jinhein aapne... achchha laga aapki hindi ki kavitayein padhkar...

nehasaraswt said...

dhanyawad