Sunday, January 8, 2012

रात की रानी

मुरझाई, कुम्हलाई, फिर तुमने सहलाई
छुअन भर से भरभराई  और इतराई
झरी कभी थी अब यौवन से भरी
फूली और सारी रैन महकी
हिया हरषाई प्रिय को भाई
री रात की रानी बड़ी सुहाई