Thursday, January 3, 2008

रविवार की सुबह, बिस्तर मे पड़े हुए
जागे बिना, सोये बिना, अलसाये से,
ठंड मे, रजाई मे, धूप मे, बारिश मे,
संग मे, अकेले मे, पड़े रहना .
बात मे और चुप मे अनमनाये हुए,
सुन कर अनसुना कर, बातों को सुनाये हुए, लड़े रहना
धीरे बजाते सुरों मे, तेज से बेसुरों मे,
चढ़ते दिन के अहेसस मे, उसे भूलने की चाह मे,
समय की चाल मे, उसके रुक जाने के ख्याल मे लगे रहना
सफ़ेद से परदों मे, लाल से बिस्तर मे, नीली सी चटाई मे घर बुनना.
पापा के पलंग को, माँ की साडी को dहूधना .
कुछ पाना, रोज कुछ खोना
रविवार की सुबह को अकेले मे रोना(हँसना)
फ़िर जग पड़ना और कम पर लगना.
शाम का घिर आना, भाई का जाना,
और फ़िर अकेले रह जाना

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