विश्वास को मेरे इतना तोडा, भरोसा तुम पर करना भूल गई.
हाँथ मेरा तुमने इतनी बार छोडा, मैं तुम्हे साथ चलाना भूल गई.
मुझको तुम्हारी कमजोरी कभी न भाई,पर ताकत तुमने मुझ पर ही आजमाई.
पीछे अब न आऊँगी बुला अब कितना ही, झिड़का है तुमने ऐसा,की दुलार तुम्हारा भूल गई।
सम्मान को मेरे यो न कुचालो, कहा कितना तुम्हे,
तुमने संम्मान खोया, मैं तुम्हारा आदर करना भूल गई.
जाओ अब नहीं करती याद कुछ भी, मैं वो अब सब बातें पुरानी भूल गई.
मन मे जो एक sमिरुती है वों कराती सब ही,कैसे कह दूँ मैं तुम्हे यद् करना भूल गई.
Thursday, January 3, 2008
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