Thursday, January 3, 2008

bas ye na ho

सोंचे क्या जबकि सोचा न हो
देखकर भी जो आँखों ने देखा न हो
दिन बीते कब और कब अगली सुबह हो
रत का इस बीच कुछ पता न हो
कह के ऐसा कुछ जो अब तक सुना न हो
मेरी आँखे नम और दिल शर्मिंदा न हो

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