Thursday, January 3, 2008

किस सावन के पैर पड़े

हर सावन के बाद हर कहीं फूल खिले
मन का कोना भरा मंजरियों से किलके
मेरे मन के आँगन मे जाने,
किस सावन के पैर पड़े
हर सावन के बाद हर कहीं फूल खिले

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