Thursday, November 5, 2009

लिपटी सी याद

पीली सी खिड़की और नीला दरवाजा
छुप सी चुपके से होती वो आह्ट
कहती वो आह्ट की अब आजा
आजा की बस नहीं कटती ये बैन
आजा के जाने क्या ढूढे ये नैन
चुनरी वो दुबकी सी सिमटी सी
लिपटी जो मुझसे यूँ चुभती सी
दिन से छुपाती, रात से बचाती
पर नहीं तेरी याद से... छोडे जो तरसाती सी

No comments: