धीमी कभी , तेज़ कभी
मेरे लिए रही अपरिचित,
अब तक रही अनमनी,
सोची नही, पढ़ी भी नहीं
अचानक दिखी, कभी अनछुई
फ़िर लगी परायी सी
जो जानी नहीं गई,
सो मानी नहीं गई,
लड़ी विधि से और हारी,
अगली बार की फ़िर तय्यारी,
लड़, हार कर, बार बार,
बात मुझसे, कभी मानी नहीं गई
Wednesday, November 11, 2009
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment