एक समय की बात
बर्र ने मधुमख्ही से प्रश्न किया
तू भोंडी मैं सुघड़ नवेली
चमकदार हैं पर मेरे
फ़िर भी जाने क्यूँ नर मानस चर
गुन ग्राहक हैं बस तेरे
मतलब का है खेल सखी री
मतलब से ही सूझ
सुन मधुमख्ही ये कहती है
मैं देती हूँ मधु लोगों को
तू केवल दस लेती है
Wednesday, July 2, 2008
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11 comments:
Dear Soul, स्वागत है आपका. ब्लॉग ज़गत में. पहली रचना bahut अच्छी. आगे भी उम्मीद. लिखते रहिये. शुभकामनायें.
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उल्टा तीर
स्वागत है, उम्मीद है अच्छी रचनायें आयेंगीं।
उत्तम रचना दुनिया का निचोड़ है ये.....
हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.
वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.
Muah :)
amit- dhanyawad (kintu mujhe nahi pata kaise meri rachana aap tak pahunchi)
sahebali- sabale badhiya chhattisgarhiya... main bhi chhattisgarh se hun... subhakamanaon ke liye dhanyawad
awashtiji- dhanyawad... ye mere pitaji ki sunai kahani par adharit hai
udan tashtari- main koshish kar ke dekhati hun waise mujhe jyada kuch pata nahin hai word varification ke bare me
rupie- love you .... you are always there to pat my back ... much love
मतलब का है खेल सखी री
मतलब से ही सूझ
सुन मधुमख्ही ये कहती है
मैं देती हूँ मधु लोगों को
तू केवल दस लेती है
बहुत सुन्दर लिखा है। बधाई।
dhanywad shobhaji.... mere pitaji ki sunai kahani thi ye...
बढिया प्रयास है आपका, धन्यवाद । इस नये हिन्दी ब्लाग का स्वागत है ।
शुरूआती दिनों में वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें इससे टिप्पणियों की संख्या प्रभावित होती है
(लागईन - डेशबोर्ड - लेआउट - सेटिंग - कमेंट - Show word verification for comments? No)
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maine word varification hata liya hai.... dhanyawad Tiwariji... kintu aap mere blog tak pahunche kaise aur kaise sare chhattisgariya mujhe tak pahunch rahe hain ye mere ashcharya ka vishay hai....
bahot khoob :-))
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