जब तुम जाओ , चलते हुए मुड़ना नहीं...
मेरे बारे में सोचना,
जानना की मैं तुम्हारी ओर ही ताकती होऊँगी।
पर तुम चलना अपनी ही डगर ,
जब हमारे पथ मिलें कभी
मुझे फिर उतना ही सम्मान देना
फिर वही मान करना मेरा
पर मेरे साथ चलने की हठ न करना
मेरे मन और तुम्हारे मन में ये सब रखना
अपने उच्छवासों को किसी से न जतलाना
बस अच्छी स्मृति रखना
साथ की आकांक्षाएं न करना
चलते हुए मुड़ना नहीं
अपनी डगर चलते ही रहना
मेरे बारे में सोचना,
जानना की मैं तुम्हारी ओर ही ताकती होऊँगी।
पर तुम चलना अपनी ही डगर ,
जब हमारे पथ मिलें कभी
मुझे फिर उतना ही सम्मान देना
फिर वही मान करना मेरा
पर मेरे साथ चलने की हठ न करना
मेरे मन और तुम्हारे मन में ये सब रखना
अपने उच्छवासों को किसी से न जतलाना
बस अच्छी स्मृति रखना
साथ की आकांक्षाएं न करना
चलते हुए मुड़ना नहीं
अपनी डगर चलते ही रहना